Saturday, October 25, 2008
अब सॉफ्टवेयर देगा होम्योपैथी की दवा
देश के तमाम होम्योपैथिक डॉक्टर अपने मरीजों को अब कम्प्यूटर की मदद से दवा दे सकेंगे। ऐसे डॉक्टरों की सहायता के लिए एक सॉफ्टवेयर कम्पनी ने ‘हिन्दी होमपाथ’ नामक कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर बाजार में उतारा है।होम्योपैथिक डॉक्टरों को ध्यान में रखकर बनाए गए इस सॉफ्टवेयर को एक होम्योपैथिक चिकित्सक ने विकसित किया है। मुम्बई के होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. जवाहर जे. शाह द्वारा बनाया गया यह सॉफ्टवेयर पूरी तरह हिन्दी में है।भारत में होम्योपैथी से कैंसर का इलाज करने की तकनीक में अब विदेशी भी खासी रुचि ले रहे हैं।स्पेन के तीन सदस्यीय शोध दल ने हाल ही में कैंसर के होम्योपैथी से इलाज की तकनीकी जानकारी प्राप्त करने के लिए ‘प्रशांत बनर्जी होम्योपैथी रिसर्च फाउंडेशन’ (पीबीएचआरएफ) का दौरा किया।दल की सदस्य और बार्सिलोना में कैंसर पर शोध कर रहीं नतालिया एरिस ने अपने अनुभव बांटते हुए आईएएनएस से कहा, “हम ‘बनर्जी प्रोटोकॉल’ नाम से प्रसिद्ध इलाज की तकनीक का खुद जायजा लेने आए हैं। हमारी रुचि स्पेन में भी इसी तर्ज पर रोगियों का इलाज करने में है।”फिलहाल एरिस स्पेन में कैंसर और होम्योपैथी से जुड़ी एक विशेष योजना पर काम कर रही हैं। इस योजना का उद्देश्य कैंसर पीड़ित रोगियों को वैकल्पिक चिकित्सा सुविधा और इससे जुड़ी उपयोगी जानकारी मुहैया करवाना है।उन्होंने कहा, “हमने पाया कि कीमोथेरेपी की अपेक्षा कैंसर पीड़ितों के लिए यह विधि अधिक कारगर है और स्पेन में होम्योपैथी उपचार भी धीरे-धीरे लोगों की पहली पसंद बनता जा रहा है। हम लोग चाहते हैं कि यहां उपचार की जो विधियां अपनाई जा रही हैं उसकी जानकारी केवल स्पेन में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में रहने वाले अधिक से अधिक स्पेनिश बोलने वालों तक पहुंचे।”दल का छह दिवसीय दौरा सोमवार को समाप्त हो गया है। इस दौरान एरिस सहित दल के सदस्यों ने पीबीएचआरएफ में भर्ती कैंसर रोगियों से मुलाकात की और उनके उपचार की वैकल्पिक विधि को देखा।गौरतलब है कि वैज्ञानिकी और औद्योगिकी शोध विभाग (डीएसआईआर) ने पीबीएचआरएफ को भारत के प्रतिष्ठित होम्योपैथी संस्थानों में से एक माना है।
विश्व का यह पहला हिन्दी होम्योपैथिक सॉफ्टवेयर मरीजों के लक्षणों को डालते ही होम्योपैथी के नियमानुसार सबसे सटीक दवा का नाम चन्द मिनटों में ही स्क्रीन पर दिखाने लगेगा।इस सॉफ्टवेयर का लोकार्पण करते हुए होम्योपैथिक मेडिकल एसोशिएशन ऑफ इंडिया की उत्तरप्रदेश की इकाई के महासचिव डॉ. वी. के. पांडे ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर के आ जाने से होम्योपैथिक चिकित्सकों को काफी सहूलियत होगी।उन्होंने कहा कि जहां पहले डॉक्टरों को किसी खास दवाई को देने के लिए आवश्यक लक्षणों को अपने दिमाग में याद रखना पड़ता था, वहीं अब सॉफ्टवेयर के जरिए यह काम पलक झपकते ही किया जा सकता है। इससे मरीज को सबसे उपयुक्त दवा देने में मदद मिलेगी।
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